ऑप्शन बाइंग करना चाहिए या ऑप्शन सेलिंग‌?

क्या बेहतर है ?

ऑप्शन ट्रेडिंग की दुनिया में दो प्रमुख तरीके हैं जिनसे निवेशक और ट्रेडर लाभ अर्जित करने की कोशिश करते हैं: ऑप्शन बाइंग (Option Buying) और ऑप्शन सेलिंग (Option Selling)। दोनों रणनीतियाँ विभिन्न जोखिमों, लाभ की संभावनाओं, और निवेश के दृष्टिकोणों के साथ आती हैं। इस लेख में हम ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग के बीच अंतर करेंगे, दोनों के फायदे और नुकसान की चर्चा करेंगे, और यह जानने की कोशिश करेंगे कि कौन सा तरीका बेहतर है, यह किस स्थिति और व्यापारिक रणनीति पर निर्भर करता है।


ऑप्शन बाइंग क्या है ?

ऑप्शन बाइंग (Option Buying) वह प्रक्रिया है, जिसमें एक निवेशक किसी विशेष संपत्ति (जैसे स्टॉक, इंडेक्स या कमोडिटी) के लिए कॉल ऑप्शन (Call Option) या पुट ऑप्शन (Put Option) खरीदता है। ऑप्शन बाइंग के माध्यम से निवेशक को एक विशिष्ट कीमत (स्ट्राइक प्राइस) पर स्टॉक को खरीदने (कॉल ऑप्शन) या बेचने (पुट ऑप्शन) का अधिकार मिलता है, लेकिन इसका कर्तव्य नहीं होता।

ऑप्शन बाइंग में निवेशक को प्रीमियम देना होता है, जो ऑप्शन खरीदने का मूल्य होता है। इस प्रीमियम का भुगतान एक बार किया जाता है, और ऑप्शन की समाप्ति (expiry) तक वह निवेशक के पास रहता है। ऑप्शन बाइंग के दौरान, निवेशक की हानि केवल प्रीमियम तक सीमित होती है, जबकि लाभ अनिश्चित होता है, जो बाजार की स्थिति के आधार पर बढ़ सकता है।


ऑप्शन सेलिंग क्या है ?

ऑप्शन सेलिंग (Option Selling) वह प्रक्रिया है, जिसमें एक निवेशक ऑप्शन को बेचता है, यानी वह किसी दूसरे निवेशक को कॉल ऑप्शन या पुट ऑप्शन का अधिकार बेचता है। जब आप ऑप्शन सेलिंग करते हैं, तो आपको प्रीमियम प्राप्त होता है, लेकिन इसके बदले में, यदि ऑप्शन का खरीदार अपने अधिकार का उपयोग करता है, तो आपको स्टॉक खरीदने (कॉल ऑप्शन) या बेचने (पुट ऑप्शन) का कर्तव्य होता है।

ऑप्शन सेलिंग में लाभ निश्चित होता है क्योंकि विक्रेता को प्रीमियम मिलती है, लेकिन जोखिम भी अधिक होता है, विशेषकर जब विक्रेता "नगेटिव" या "न्यूड" ऑप्शन सेलिंग करता है, यानी वह बिना किसी संपत्ति को कवर किए ऑप्शन बेचता है। इस स्थिति में, विक्रेता की हानि असीमित हो सकती है यदि बाजार के विपरीत दिशा में बहुत बड़ा परिवर्तन होता है।


ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग में क्या अंतर है ?

ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं, जो उनके जोखिम, लाभ की संभावनाओं, और निवेशक की रणनीति पर प्रभाव डालते हैं:

1. लाभ और हानि की संभावनाएँ

  • ऑप्शन बाइंग: ऑप्शन बाइंग में लाभ की संभावना अनिश्चित होती है, लेकिन हानि सीमित होती है। निवेशक का अधिकतम नुकसान केवल ऑप्शन की प्रीमियम तक सीमित होता है, जबकि लाभ अनंत हो सकता है यदि बाजार में भारी उतार-चढ़ाव होता है।
  • ऑप्शन सेलिंग: ऑप्शन सेलिंग में लाभ निश्चित होता है क्योंकि विक्रेता को प्रीमियम प्राप्त होता है। हालांकि, हानि अधिक होती है, विशेषकर यदि विक्रेता बिना कवर किए ऑप्शन बेचता है। यदि बाजार विक्रेता के खिलाफ जाता है, तो हानि असीमित हो सकती है।

2. जोखिम

  • ऑप्शन बाइंग: ऑप्शन बाइंग में जोखिम सीमित होता है। आप जितनी प्रीमियम का भुगतान करते हैं, वह आपकी अधिकतम हानि होती है। इसलिए, यदि आप गलत दिशा में ऑप्शन बाय करते हैं, तो आपकी हानि केवल उस प्रीमियम तक ही सीमित रहती है।
  • ऑप्शन सेलिंग: ऑप्शन सेलिंग में जोखिम अधिक होता है, विशेषकर जब आप नगेटिव या बिना कवर किए ऑप्शन बेचते हैं। स्टॉक की कीमत की दिशा में अगर बड़ा बदलाव आता है, तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए, ऑप्शन सेलिंग के लिए जोखिम प्रबंधन आवश्यक होता है।

3. समय का प्रभाव

  • ऑप्शन बाइंग: ऑप्शन बाइंग में समय एक महत्वपूर्ण कारक होता है। जैसे-जैसे ऑप्शन की समाप्ति तारीख करीब आती है, ऑप्शन का समय मूल्य (time value) घटने लगता है। यदि बाजार दिशा में नहीं बदलता, तो निवेशक समय के कारण अपनी पूरी प्रीमियम खो सकता है।
  • ऑप्शन सेलिंग: ऑप्शन सेलिंग में समय मूल्य का लाभ विक्रेता को मिलता है। जैसे-जैसे ऑप्शन की समाप्ति तिथि करीब आती है, ऑप्शन की कीमत घटने लगती है, और विक्रेता को प्रीमियम का लाभ मिलता है। इसलिए, ऑप्शन सेलिंग में समय का प्रभाव अधिक सकारात्मक होता है।

4. सफलता का पैमाना

  • ऑप्शन बाइंग: ऑप्शन बाइंग में सफलता का पैमाना बाजार के बड़े बदलाव पर निर्भर करता है। यदि बाजार तेजी से बढ़ता है (कॉल ऑप्शन के लिए) या गिरता है (पुट ऑप्शन के लिए), तो निवेशक को बड़ा लाभ हो सकता है।
  • ऑप्शन सेलिंग: ऑप्शन सेलिंग में सफलता का पैमाना बाजार के स्थिर या कम उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। विक्रेता को प्रीमियम प्राप्त होता है, और यदि बाजार बहुत ज्यादा न बढ़े या न गिरे, तो विक्रेता को लाभ होता है।

ऑप्शन बाइंग के फायदे

ऑप्शन बाइंग में कई फायदे होते हैं जो इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं:

1. सीमित हानि, असीमित लाभ

ऑप्शन बाइंग में हानि केवल प्रीमियम तक सीमित होती है। अगर बाजार आपके पक्ष में चलता है, तो लाभ असीमित हो सकता है। कॉल ऑप्शन के लिए यदि स्टॉक की कीमत अत्यधिक बढ़ जाती है, या पुट ऑप्शन के लिए अगर कीमत बहुत गिरती है, तो आप अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

2. कम पूंजी की आवश्यकता

ऑप्शन बाइंग में आपको पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती। केवल ऑप्शन की प्रीमियम का भुगतान करना होता है, जो कम पूंजी में बड़े लाभ की संभावना देता है।

3. बाजार की दिशा की भविष्यवाणी नहीं करनी होती

ऑप्शन बाइंग में आपको सिर्फ यह अनुमान लगाने की आवश्यकता होती है कि स्टॉक की कीमत कहां जाएगी (उपर या नीचे)। यदि बाजार में भारी उतार-चढ़ाव होता है, तो आप लाभ कमा सकते हैं।


ऑप्शन सेलिंग के फायदे

ऑप्शन सेलिंग के भी कई फायदे होते हैं, विशेषकर अनुभवी निवेशकों के लिए:

1. लाभ निश्चित

ऑप्शन सेलिंग में आपको प्रीमियम मिलता है, जो आपके लाभ का स्रोत होता है। यदि ऑप्शन समाप्त हो जाता है "आउट-ऑफ-द-मनी" (OTM), तो विक्रेता को पूरी प्रीमियम मिलती है।

2. समय का लाभ

ऑप्शन सेलिंग में समय मूल्य का लाभ विक्रेता को मिलता है। जैसे-जैसे ऑप्शन की समाप्ति तिथि करीब आती है, ऑप्शन का मूल्य घटता है, और विक्रेता को लाभ होता है।

3. कम वोलैटिलिटी में लाभ

ऑप्शन सेलिंग उन निवेशकों के लिए उपयुक्त होती है, जो अपेक्षाकृत स्थिर बाजारों में काम करना पसंद करते हैं। यदि बाजार स्थिर रहता है, तो विक्रेता को अच्छा लाभ हो सकता है।


ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग: कौन सा बेहतर है?

ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग दोनों के फायदे और नुकसान होते हैं। यह निर्णय कि कौन सा तरीका बेहतर है, मुख्य रूप से आपके निवेश लक्ष्य, जोखिम सहनशीलता और बाजार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

  • यदि आप एक छोटे समय में बड़ा लाभ कमाना चाहते हैं और आप बाजार की दिशा की सही भविष्यवाणी करने में सक्षम हैं, तो ऑप्शन बाइंग आपके लिए उपयुक्त हो सकती है।
  • यदि आप एक स्थिर आय की तलाश में हैं और आप जोखिम को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो ऑप्शन सेलिंग आपके लिए बेहतर हो सकती है।

निष्कर्ष:

ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग दोनों की अपनी-अपनी उपयोगिता और विशेषताएँ हैं। किसी भी रणनीति को अपनाने से पहले, यह आवश्यक है कि आप अपने जोखिम प्रबंधन की रणनीति को सही से तैयार करें और अपनी पूंजी को सुरक्षित रखें। ऑप्शन ट्रेडिंग एक जटिल प्रक्रिया है, इसलिए सही रणनीति का चयन करने के लिए बाजार की स्थिति, अपनी रिस्क प्रोफाइल और निवेश लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें।

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